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संजय पांडे की नाराजगी का सही कारण क्या है?

  • dhadakkamgarunion0
  • Mar 19, 2021
  • 3 min read

ये अच्छा है कि मुंबई महानगर पालिका ने कोरोना संक्रमण रोकने के लिए कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग तेज कर दिया है। वैसे, इसका इस्तेमाल संक्रामक बीमारियों को फैलने की गति को कम करने के लिए किया जाता है, अमूमन इसे सेक्सुअल हेल्थ क्लीनिकों में इस्तेमाल किया जाता है, जहां डॉक्टर संक्रमण के शिकार रोगियों से अपने संपर्क में आए लोगों से कॉन्टैक्ट करने को कहते हैं ताकि संक्रमण को रोका जा सके। पर कोविड-19 जैसी वैश्विक महामारी के मामले में कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग का मकसद उन लोगों का पता लगाना है, जो कोरोना वायरस से संक्रमित शख्स के संपर्क में लंबे वक्त तक रहे हैं ताकि ऐसे लोगों को खुद को आइसोलेट करने को कहा जा सके।

कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों के दोस्तों और परिवार के लोगों को फोन करके इस प्रक्रिया को अंजाम दिया जाता है। इसके लिए ऑटोमेटेड लोकेशन ट्रैकिंग मोबाइल ऐप का भी सहारा लिया जाता है। हांगकांग, फ्रांस, सिंगापुर और जर्मनी समेत कोरोना वायरस से प्रभावित कई देशों में कॉन्टैक्ट ट्रैकिंग का इस्तेमाल पहले से ही हो रहा है। ब्रिटेन भी कॉन्टैक्ट ट्रैकिंग ऐप और फोन टीम के इस्तेमाल में अग्रणी है। सिंगापुर ने तो कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग के लिए नया डिवाइस बनाकर इसे देश के 57 लाख निवासियों को दे भी दिया है। बैटरी से चलने वाला यह डिवाइस पोर्टेबल है और स्मार्टफोन पर निर्भर नहीं है। दिल्ली में भी सरकार घर-घर जाकर टेस्ट से कम्युनिटी ट्रांसमिशन व कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग स्थिति की सही जानकारी ले रही है। तो मुंबई क्यों पीछे रहे? दिल्ली में संक्रमितों की संख्या 77000 से ज्यादा है जबकि मुंबई में लगभग 71000 मामले सामने आए हैं।

लगातार कोरोना संक्रमण के मामले को बढ़ता देखकर मुंबई मनपा ने मुंबई में कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग के लिए जो नया प्रोटोकॉल बनाया था, उसका भी काफी फायदा दिखा है इसके तहत संदिग्ध मरीज की पास्ट हिस्ट्री के साथ-साथ क्वॉरंटीन अवधि में उसके संपर्क में आए लोगों की भी निगरानी की जा रही है। इसके पीछे का मकसद है इस महामारी को और फैलने से रोकना। कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग प्रोटोकॉल का इस्तेमाल किसी संक्रामक बीमारी के फैलने की गति को कम करने के लिए किया जाता है। पहले के कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग प्रोटोकॉल के तहत केवल उन मरीजों की टेस्टिंग की जाती थी, जो कोरोना मरीज से बीते दो दिन पहले मिले हों। लेकिन, अब कोरोना के लक्षण दिखने के बाद अगले 14 दिनों तक उसके संपर्क में आए लोगों की भी स्क्रीनिंग की जा रही है। इसका मतलब ये हुआ कि मुंबई में जो लोग भी संदिग्ध के संपर्क में आए हैं, उनकी स्क्रीनिंग जरूरी है। इनमें लक्षण के दो दिन पहले से लेकर अगले 14 दिनों तक संपर्क में आने वाले लोगों को शामिल किया गया है। साथ ही अगर कोई संदिग्ध कोरोना पॉजिटिव पाया जाता है तो उसके इलाज के साथ-साथ कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग की प्रक्रिया का भी प्रावधान है। ये प्रक्रिया बहुत तेजी से मुंबई में चल रही है।

वेल डन मुंबई मनपा।

*@ अभिजीत राणे*

संजय पांडे की नाराजगी का सही कारण क्या है? क्या सिर्फ संजय पांडे अकेले आईपीएस हैं जो सरकार से नाराज हैं? इन दोनों प्रश्नों का उत्तर एकदम साफ है। सरकार को अपने मोहरों को बदलने में खूब मजा आता है। वो जिसे "गुड़ बुक" कहते हैं सरकार समय समय पर उसे बदलती रहती है। इसलिए जहां संजय पांडे को होना चाहिए वहाँ रजनीश सेठ हैं। यहां पर 'सेवा में वरिष्ठता' या 'काबिलियत' से इतर जो "काबिलियत" महत्वपूर्ण है वो ये है कि आप अपने "आका को खुश करने में कितने प्रवीण हैं।"

*@ अभिजीत राणे*

चिंता मुझे अकेले को नहीं है, चिंता पूरे देश को है। प्रदेश को है। कोरोना का संक्रमण पूरे राज्य में रोज नवीन रिकार्ड बना रहा है और सरकार है कि वो एक रिकॉर्ड तक नहीं बना पा रही है, कौन सा रिकार्ड? कोरोना पर काबू पाने का रिकार्ड!!!

*@ अभिजीत राणे*

2024 में आम चुनाव होने वाले हैं और 2025 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शताब्दी है इसलिए ये देखना महत्वपूर्ण होगा कि संघ का नया सर कार्यवाह कौन होगा? मौजूदा भैयाजी जोशी इस पद पर कांटीन्यू करेंगे या फिर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से आए दत्तात्रेय होसबले को जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।

बंगलुरु में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की बैठक चल रही है, रिजल्ट जल्दी मिलेगा।

*@ अभिजीत राणे*

साल भर में सभी टोल नाके हट जाएंगे। क्योंकि तब तक टोल टैक्स की सभी वसूली जीपीएस व कैमरे के लिए होने लगेगी।

देखना है कि गडकरी उवाच सच होता है या नहीं?

*@ अभिजीत राणे*

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