*ABHIJEET RANE (AR)*
सरकार शिंदे की पर लगाम फडणवीस के हाथ में। शिंदे-फडणवीस सरकार की सबसे बड़ी सच्चाई यही है कि भले ही सरकार के मुखिया मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे हों लेकिन इसकी डोरी तो उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के ही हाथ है। ये आज से नहीं पिछले लगभग डेढ़ महीने से यही दिख भी रहा है।
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सांस्कृतिक मंत्री सुधीर मुनगंटीवार के एक बयान से विवाद पैदा हो गया है। शिंदे- फडणवीस सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए। दरअसल, मुनगंटीवार ने कहा है कि सरकारी दफ्तरों में हेलो की बजाय वंदेमातरम का उपयोग होना चाहिए। हमारी राय में यह समय इस तरह के फैसलों का नहीं है।
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मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा है कि ‘वास्तविक’ शिवसेना और भारतीय जनता पार्टी राज्य में आगामी निकाय चुनाव साथ मिलकर लड़ेंगे। जबकि शिंदे शिवसेना के बागी गुट का नेतृत्व करते हैं। और अभी तक सुप्रीम कोर्ट ने वास्तविक शिवसेना कौन है, इसका फैसला नहीं किया है।
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अब यह कन्फर्म हो गया है कि शिंदे गुट के विधायक भाजपा को बड़े और महत्वपूर्ण विभाग मिलने से ज्यादा नाराज हैं। भाजपा के खाते में वित्त, राजस्व, ग्रामीण विकास, पर्यावरण, पर्यटन जैसे विभाग आए हैं। इसकी तुलना में शिंदे गुट के मंत्रियों को छोटे व कम महत्व के विभाग मिले हैं। तो उनकी नाराजगी स्वाभाविक है।
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शिंदे गुट के तीन मंत्री- दीपक केसरकर, दादा भूसे और संदीपनराव भुमरे मंत्री बनने के बाद भी विभागों के आवंटन से नाखुश हैं।शिक्षा मंत्री का पद मिलने के बाद भी दीपक केसरकर खफा हैं। वे उद्योग विभाग चाहते थे।
दादा भुसे को बंदरगाह और खनन विभाग दिया गया है। वे एक बार फिर कृषि विभाग चाहते थे। रोजगार गारंटी और बागवानी का पुराना खाता मिलने से संदीपन भुमरे भी खुश नहीं है।
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