@ अभिजीत राणे
सुतार व कारपेन्टर्स को भी लोकल यात्रा की इजाजत मिले!
धड़क कामगार यूनियन महासंघ से संबद्ध धड़क सुथार कारपेंटर युनियन, मुंबई की तरफ से महाराष्ट्र सरकार से अनुरोध किया गया है कि इस वर्ग को भी लोकल ट्रेनों में यात्रा करने की इजाजत दी जाए।
धड़क सुथार कारपेंटर युनियन मुंबई के अध्यक्ष प्रवीण बोरानिया ने कहा है कि 6 महीना होगया, स्थानिक सुथार कारपेन्टर्स भाइयों को मुंबई में रोजी रोजगार के लिए आवागमन में बहुत तकलीफ़ होती है।
इसलिए माननीय श्री मुख्यमंत्री से अनुरोध है कि, इस वर्ग को भी रेलवे पास मिले, ऐसी हमारी विनती है। सुतार कारपेन्टर्स भी कामगार वर्ग में आता है। यह मेहनतकश समुदाय है। लॉकडाउन में इस वर्ग ने बहुत तकलीफ सहन की है। लोकल ट्रेन आवागमन का सरल व सस्ता साधन है। इनमें यात्रा की परमिशन न मिलने से इनका धंधा चौपट हो गया है। लिहाजा इन्हें घर चलाने में बहुत तकलीफ़ हो रही है। इनकी दूसरी कोई आवक भी नहीं है।
इसलिए सुतार कारपेन्टर्स कामगार वर्ग को जल्द से जल्द रेलवे पास मिले, ऐसी हमारी विनती है,,,, धड़क सुथार कारपेंटर युनियन मुंबई अध्यक्ष प्रवीण बोरानिया द्वारा जारी।
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@ अभिजीत राणे(AR)
विश्वकर्मा जयंती पर सार्वजनिक अवकाश घोषित किया जाए!
धड़क सुतार कारपेन्टर्स यूनियन की मांग
धड़क कामगार यूनियन से संलग्न धड़क सुतार कारपेन्टर्स यूनियन की मांग है कि दुनिया के पहले वास्तुकार और इंजीनियर भगवान श्री विश्वकर्मा की जयंती पर सार्वजनिक अवकाश घोषित किया जाए।
मैं धड़क सुतार कारपेन्टर्स यूनियन की मांग का पूरी तरह से समर्थन करते हुए राज्य के मुख्यमंत्री श्री उद्धव ठाकरे जी से निवेदन करता हूँ कि जल्दी से जल्दी इस पर कार्यवाही की जाए।
पौराणिक कथा के अनुसार इस समस्त ब्रह्मांड की रचना भी विश्वकर्मा जी के हाथों से हुई है। ऋग्वेद के 10वें अध्याय के 121वें सूक्त में लिखा है कि विश्वकर्मा जी के द्वारा ही धरती, आकाश और जल की रचना की गई है। विश्वकर्मा पुराण के अनुसार आदि नारायण ने सर्वप्रथम ब्रह्मा जी और फिर विश्वकर्मा जी की रचना की। ऐसी मान्यता है कि सभी पौराणिक संरचनाएं, भगवान विश्वकर्मा द्वारा निर्मित हैं। भगवान विश्वकर्मा के जन्म को देवताओं और राक्षसों के बीच हुए समुद्र मंथन से माना जाता है। पौराणिक युग के अस्त्र और शस्त्र, भगवान विश्वकर्मा द्वारा ही निर्मित हैं। वज्र का निर्माण भी उन्होंने ही किया था। भगवान विश्वकर्मा ने ही लंका का निर्माण किया था।
भगवान शिव ने माता पार्वती के लिए एक महल का निर्माण करने के बारे में विचार किया। इसकी जिम्मेदारी शिवजी ने भगवान विश्वकर्मा दी तब भगवान विश्वकर्मा ने सोने के महल को बना दिया। इस महल की पूजा करने के लिए भगवान शिव ने रावण को बुलाया। लेकिन रावण महल को देखकर इतना मंत्रमुग्ध हो गया कि उसने पूजा के बाद दक्षिणा के रूप में महल ही मांग लिया।
भगवान शिव ने महल को रावण को सौंपकर कैलाश पर्वत चले गए। इसके अलावा भगवान विश्वकर्मा ने पांडवों के लिए इंद्रप्रस्थ नगर का निर्माण भी किया था। कौरव वंश के हस्तिनापुर और भगवान कृष्ण के द्वारका का निर्माण भी विश्वकर्मा ने ही किया था।
इसलिए धड़क सुथार कारपेंटर युनियन मुंबई अध्यक्ष पविण बोरानिया का कहना है कि भगवान श्री विश्वकर्मा जयंती पर सार्वजनिक अवकाश होना ही चाहिए।
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