✒️ महाराष्ट्र में कोरोना के बढ़ते केसों पर लगाम लगाने के लिए राज्य सरकार की ओर से आज कोई अहम फैसला हो सकता है। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने आज राज्य के सभी जिलों के कलेक्टर्स की मीटिंग बुलाई है। इस बैठक में वह राज्य में कोरोना के बढ़ते मामलों की समीक्षा करेंगे। सभी जिलों से रिपोर्ट लेने और बंदिशों पर सुझाव के बाद सीएम उद्धव ठाकरे की ओर से कोई बड़ा ऐलान किया जा सकता है। पूरे राज्य में कंप्लीट लॉकडाउन की उम्मीदें कम ही हैं, लेकिन सख्ती में इजाफा किया जा सकता है और कई जिलों में लॉकडाउन लग सकता है। ध्यान रहे कि महाराष्ट्र के बीड जिले में आज से लॉकडाउन की शुरुआत हो गई है, जो 4 अप्रैल तक चलेगा। इससे पहले नागपुर में भी 15 से 21 मार्च तक पूर्ण लॉकडाउन लागू था।
@ अभिजीत राणे
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✒️ हिंदी में एक कहावत है गए थे हरिभजन को, ओटन लगे कपास। यानी आप गए तो अच्छे काम के लिए पर बुरे काम में लग गए। सचिन वाझे की हालत ऐसी ही हो गई है। चले थे सुपरकॉप बनने। बन गए सुपर क्रिमिनल।
सच है कि लालच और अहंकार इंसान को बर्बाद कर देता है।
@ अभिजीत राणे
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✒️ राज्य की बोर्ड परीक्षाओं को एक महीने से कम समय रह गया है लेकिन सरकार व प्रशासन लापरवाही कर रही है।
फ्रंटलाइन वर्कर शिक्षकों को परीक्षा के पहले कोरोना वैक्सीन मिलनी ही चाहिए।
जागो। जागो। जागो। जागो।
@ अभिजीत राणे
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✒️ इसे आप कहीं लिखकर रख लीजिए महाराष्ट्र में कोरोना अभी और कहर ढाने वाला है।
ये जो दूसरी लहर चल रही है, वो 25 अप्रैल तक तो रहेगी ही और इस दौरान 25 लाख से ज्यादा संक्रमित होंगे।
सावधानी ही बचाव है।
@ अभिजीत राणे
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✒️ "बलि का बकरा" नहीं "जानबूझकर गुनाह":
अदालत में सचिन वाझे का यह कहना कि ""उसका इस मामले से कोई भी लेना देना नहीं है। उसे सिर्फ बलि का बकरा बनाया जा रहा है। वह इस केस का जांच अधिकारी मात्र डेढ़ दिन के लिए था और जब वह एनआईए दफ्तर पहुंचा तो उसे गिरफ्तार कर लिया गया।"" ये एकदम झूठ है। वाझे "बलि का बकरा" नहीं है बल्कि उसने "जानबूझकर गुनाह" किया। अपने होशोहवास में किया। लालच के वशीभूत होकर किया। इसलिए उसने अपने गुनाह तब कबूल किए जब वो बुरी तरह से फंस गया। वाझे ने मनसुख मामले में अपनी संलिप्तता तब मानी जब टेक्निकल मोबाइल टावर और आईपी इवैल्यूएशन के आधार पर यह तय हो गया की मनसुख की हत्या के समय वो घटनास्थल पर ही मौजूद था।
@ अभिजीत राणे
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✒️ कभी मत सोचो कि तुम अकेले हो बल्कि
ये सोचो कि तुम अकेले ही काफी हो.!
@ अभिजीत राणे
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✒️ ये कितनी बड़ी विसंगति है कि जहां आम आदमी कंगाल होता जा रहा है वहीं सरकार मालामाल होती जा रही है। पेट्रोल और डीजल के दाम जिस तेजी के साथ बढ़ रहे हैं उससे एक आम आदमी का जीवन कुछ इस कहावत यानी आमदनी अठन्नी खर्च रुपैया को बयां करता है। पिछले सात साल में आम आदमी की कमाई से कई गुना ज्यादा पेट्रोलियम पदार्थों पर सरकार ने टैक्स बढ़ाकर कमाए। इससे आम लोगों की जेब खाली हुई, वहीं, सरकार का खजाना तेजी से भरता गया। इसे केंद्र सरकार ने खुद ही बताया है कि पिछले 6 साल में पेट्रोल-डीजल से उनका टैक्स कलेक्शन 300% बढ़ गया है।
विसंगतियों की सरकार!!!!!
@ अभिजीत राणे
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